श्री राम का जन्मकाल एवं कुंडली और विशेषताएं
Shri Rama’s Birth date and Birth Chart Characteristics
भगवान श्री राम जिन्हें मर्यादापुरुषोत्तम कहेते है, आज इनकी विशेष चर्चा करेंगे। श्री राम का जन्मकाल एवं उनकी कुंडली क्या कहती है और क्या विशेषता हैं।
श्री राम कौन है? (Who is Lord Shri Rama?)
श्री राम प्रभु श्री विष्णु जी का सातवां अवतार है। जिनके हाथ में तीर कमान है। श्री राम के पिता महाराज दशरथ, माता कौशल्या और पत्नी सीता है।
श्री राम के जन्म को कितना समय हुआ? (How long has it been since the birth of Shri Rama?)
श्री राम के जन्मकाल पर कई विचारधाराएँ हुई है और शायद हो भी रही होगी।
श्री राम का जन्म त्रेतायुग में हुआ था। श्रीमद्भगवद्गीता के अनुसार त्रेता युग लगभग 12,96,000 वर्ष का होता है। इसके बाद द्वापर युग आता है, जो लगभग 8,64,000 वर्ष का है। कल युग लगभग 4,32,000 वर्ष का है – (अध्याय 8, श्लोक 17), जिसमे से सिर्फ अभी कलयुग के लगभग 5124 वर्ष ही पुरे हुए है। अर्थात कह सकते है यह तीन युग मिलाकर लगभग 21,65,000 वर्ष होते है , तो आप अंदाजा लगा सकते है की श्री राम जी के जन्म को कितने वर्ष पहले हुआ होगा।
कुछ पाश्चात्य ऐतिहासिकों (western historians) ने इस बारे में विचारों का उल्लेख किया है। प्लैनेटेरियम सॉफ्टवेयर (Planetarium software) अनुसार श्री राम का जन्म 5114 BCE में हुआ, इसके अनुसार श्री राम के जन्म को लगभग 7137 वर्ष हो चुके है।
भारतीय धार्मिक पुस्तकों जैसे की श्रीमद्भगवद्गीता और रामायण या ऋग्वेद जैसे ग्रंथो को देखे तो युग वर्षो की गणना अलग ठहर जाती है। पहले वर्षो की गणना गाणितिक संख्या में नहीं होती थी, तब एक ब्रह्म दिवस, अयन, पल एवं घडी जैसे शब्दों का उपयोग होता था। यह बात जो संस्कृत भाषा जानते है वह अच्छी तरह से समझ सकते है, उ.दा. एक रथधूलि का अर्थ गणितिक संख्या में 8 परमाणु यानि सबसे सुक्ष्म संख्या होती है। तुलसीदासजी द्वारा रचित रामायण में नक्षत्र, एवं ग्रहो की गणना से भारतीय ज्योतिषकारो ने कुंडली बनाई, मगर इससे वर्ष कौनसा था, वह गणितिक संख्या में बताना अभी भी मुश्किल है। इसीलिए अंदाजपूर्वक श्री राम जी का जन्मकाल समय आज भी सचोट नहीं निकाल सकते, क्योंकि सभी की धारणा अलग-अलग है।
श्री राम का जन्म कब हुआ? (When was Shri Rama born?)
संत तुलसीदासजी का कहना है –
जोग लगन गृह बार तिथि सकल भए अनुकूल।
चार अरु अचार हर्षजुत राम जनम सुखमूल।।
नौमी तिथि मधु मॉस पुनिता। सुकल पच्छ अभिजीत हरिप्रीत।।
(राoचoमा १।१९०; १। १९१। १)
श्री रामजी का जन्म चैत्र मास, शुक्ल पक्ष, नवमी तिथि और अभिजीत नक्षत्र में हुआ था। जिसे हम चैत्र मास की रामनवमी से पूजते है।
श्री राम का जन्म प्लैनेटेरियम सॉफ्टवेयर (planetarium software) अनुसार 10 जनवरी, 12:30 PM, 5114 BCE अयोध्या में हुआ।
श्री राम की कुंडली (Birth chart analysis of Shri Rama)
वाल्मीकिजी ने रामायण में पाँच ग्रहो को उच्चका और गुरु एवं चंद्रमाँ को एक साथ बताकर ज्योतिषियों के लिए ‘मार्ग’ प्रकाशमय किया और तुलसीदासजीने अभिजीत नक्षत्र का उल्लेख किया है। पाँच ग्रह उच्च के यह कुंडली की विशेषता है।
श्री राम के लिए क्या कहें – पाँच उच्चस्थ ग्रहोंकी वजह से श्री राम थे, या मर्यादापुरुषोत्तम श्री राम की विशेषता पाँच उच्चस्थ ग्रहों से नहीं थी, ग्रह तो उन्हींके प्रभाव से प्रभावित थे, मगर लौकिक विचारधारारूप पाँच उच्चस्थ ग्रहों ने प्रभाव दिया।
कर्क लग्न एवं कर्क राशि (Cancer Ascendant & Cancer moon sign)
श्री राम की कुंडली में कर्क लग्न और कर्क राशि है। चंद्र स्वगृही है, पुनर्वसु के चौथे चरण में उनका जन्म हुआ। इसीलिए गुरु की दशा ४ वर्ष शेष रही। कर्क लग्न एवं राशि के गुण स्वरुपवान, भावुक एवं तेजस्वी रूप श्री राम में दिखे
गजकेसरी योग लग्न स्थान में (Gaj-Kesari Yoga in Ascendant)
श्री राम की कुंडली में लग्न स्थान पर गुरु और चंद्र की युति है जिसे गजकेसरी योग कहते है, मतलब हाथी और सिंह जैसी ताकत और सुख को दर्शाता है। गुरु उच्च का है, जिससे श्री राम परोपकारी, ज्ञानी, संस्कारी, मातापिता के आज्ञाकारी, समझदार – सूझवान जैसे गुणों को दर्शाता है।
तृतीय स्थान पर राहु (Rahu in third house)
तृतीय स्थान पर राहु स्थान कारक एवं बलि होता है। जिससे पराक्रमी, साहसी, निडरता के गुण झलकते है। राहु के कारण भाई के लिए राजगद्दी छोड़कर जाने के लिए तैयार रहे और आज्ञाकारी छोटे भाई का सुख मिला।
उच्च का शनि चतुर्थ स्थान में (Exalted saturn in fourth house)
श्री रामजी की कुंडली में चतुर्थ स्थान पर शनि उच्च होकर बैठे है। शनि चतुर्थस्थान पर कठिनाई देकर सुख-शांति, या फिर सुख-शांति के बाद कठिनाइया देता है। शनि उच्चस्थ होकर वनवास करवाया, घर छुड़वाया और बाद में राजपाठ दिलवाया। और गुरु के बाद शनि की महादशा प्रारम्भ होती है, जो 19 वर्षतक चलती है। श्री राम को न्याय प्रिय बनाया जिसके कारण समाज की वजह से अपनी प्रिय पत्नी सीता से दूर रहे। उत्तम श्रेष्ठ राजा का एक महत्वपूर्ण गुण न्याय करना होता है। वनवास के बाद सारे सुख प्रदान किए, जैसे राज्य, वाहन, घोडा, हाथी, भवन इत्यादि।
उच्चस्थ मंगल सप्तम स्थान में (Exalted mars in seventh house)
सप्तम स्थान विवाह का होता है। मंगल की दृष्टि चंद्र और गुरु पर और राहु तृतीय स्थान पर है, जो पराक्रम में बढ़ोतरी करता है। सीताजी जैसी शक्ति रामजी के साथ थी मगर वैवाहिक सुख पूर्ण नहीं मिला। वनवास जाना पड़ा और बाद में सीताजी से अलग रहना पड़ा।
उच्चस्थ शुक्र नवम स्थान में (Exalted venus in ninth house)
उच्चस्थ शुक्र के साथ केतु भी नवम स्थान में है। केतु मीन राशि में आध्यात्मिकता बढ़ा देता है। शुक्र और केतु नवम स्थान में धार्मिकता एवं आध्यात्मिकता की बढ़ोतरी करता है। शुक्र उच्च का जब होता है तब व्यक्ति को भोगविलासी बनाता है। मगर नवम स्थान जो धर्म स्थान है, वहां उच्च का शुक्र, केतु के साथ माल-मिलकत भोग विलासता के मोह से दूर रखता है और आध्यात्मिकता बढ़ा देता है।
दशम स्थान में उच्चस्थ सूर्य (Exalted sun in tenth house)
उच्चस्थ सूर्य मान सम्मान में बढ़ोतरी एवं पालनहार को दर्शाता है। सूर्य एवं शनि की एक दूसरे पर दृष्टि के कारण श्री राम को पिता से दूर रहना पड़ा। राज्य के लिए हमेंशा कार्यरत रहें एवं राज्य के लोगो के लिए, जनता के लिए हमेंशा सोचते रहें।
बुध एकादश भाव में (Mercury in eleventh house)
मित्र राशि एकादश में बुध व्यय और पराक्रम का स्वामी होकर बैठा है। पुराणों के उल्लेखानुसार शनि के बाद बुध की महादशा में 41 वर्ष की अवस्था में वनयात्रा समाप्त हुई थी।
श्री राम ने कितने वर्षोंतक राज्य किया? (For how many years did Shri Rama rule?)
श्री रामजी द्वारा किया गया आदर्श शासन रामराज्य के नाम से जाना जाता है। पुराणों अनुसार श्री रामने राजा बनने पर ग्यारह हजार वर्षोंतक राज्य किया। इस राज्यकाल में सभी सुखी, दीर्घायु, कर्तव्यपरायण, सुखी दाम्पत्यजीवन, उदार प्रकृति और सभी में नैतिकता थी।
रामराज्य की विशेषता यह है कि यहाँ प्रजा सुखी, प्रसन्न, संतुष्ट,और समृद्ध होती है। राजा श्री राम और रामराज्य की तुलना अन्य किसी राजा और किसी राज्य से नहीं की जा सकती; न तो रामजी जैसा राजा होगा, न रामराज्य जैसा सुखदायी राज्य।
निष्कर्ष (Conclusion)
यह कुंडली देश, काल, पात्र अनुसार जीवनी दर्शाती है। आज के आधुनिक युग में ग्रहका फल वैसा ही रहता है मगर भुगतना काल के अनुसार होता है।
यहाँ हमने श्री राम की कुंडली की संक्षिप्तरूप से चर्चा की। यहाँ हमने कुंडली विश्लेषण किया एवं श्री राम की विवाहित स्थिति का कारण भी कुंडली में देखा।
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